भाग 1 (भारत का संविधान)
भाग 1 (भारत का संविधान)
भाग I: संघ और उसका राज्य क्षेत्र
1\. संघ का नाम और राज्य क्षेत्र
* भारत, अर्थात् इंडिया, राज्यों का संघ होगा।
* राज्य और उनके राज्यक्षेत्र वे होंगे जो पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं। उदाहरण: गोवा-56वा संशोधन-1987 में 25वा राज्य बना सिक्किम-36वा संशोधन-1975 में 22वा राज्य बना
* भारत के राज्य की सीमा क्षेत्र, नाम और अन्य परिवर्तन समाविष्ट होंगे।
2\. नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना
* संसद, विधि द्वारा, ऐसे निबंधनों और शर्तों पर, जो वह ठीक समझे, संघ में नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकेगी।
* सिक्किम का संघ के साथ सहयुक्त किया जाना संविधान (छत्तीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1975 की धारा 5 द्वारा (26-4-1975 से) निरसित।
3\. नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों\, सीमाओं या नामों में परिवर्तन
* संसद, विधि द्वारा –
* किसी राज्य में से उसका राज्यक्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों के भागों को मिलाकर अथवा किसी राज्यक्षेत्र को किसी राज्य के भाग के साथ मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकेगी।
* किसी राज्य का क्षेत्र बढ़ा सकेगी;
* किसी राज्य का क्षेत्र घटा सकेगी;
* किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सकेगी;
* किसी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकेगी;
4\. पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन तथा अनुपूरक\, आनुषंगिक और पारिणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के अधीन बनाई गई विधियाँ
* अनुच्छेद 2 या अनुच्छेद 3 में निर्दिष्ट किसी विधि में पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन के लिए ऐसे उपबंध अंतर्विष्ट होंगे जो उस विधि के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए आवश्यक हों तथा ऐसे अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिणामिक उपबंध भी (जिनके अंतर्गत ऐसी विधि से प्रभावित राज्य या राज्यों के संसद में और विधान-मंडल या विधान-मंडलों में प्रतिनिधित्व के बारे में उपबंध हैं) अंतर्विष्ट हो सकेंगे जिन्हें संसद आवश्यक समझे।
* पूर्वोक्त प्रकार की कोई विधि अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नहीं समझी जाएगी।
यह एक पेशेवर ढंग से व्याख्यात्मक ब्लॉग पोस्ट है जो भारत के संविधान के भाग 1 के महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहराई से जानकारी प्रदान करता है। इसमें भारतीय संविधान के संघ और राज्य क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विश्लेषण किया गया है।
Conclusion
भारतीय संविधान के इस महत्वपूर्ण भाग के माध्यम से, हम देख सकते हैं कि कैसे नए राज्यों के स्थापना, नामकरण और सीमाएं विधान के माध्यम से निर्धारित की जा सकती हैं। यह एक महत्वपूर्ण और उपयोगी प्रक्रिया है जो हमारे देश के संविधान में संरक्षित है। इसके माध्यम से हम सामाजिक एवं राजनीतिक परिवर्तनों को सुनिश्चित करते हैं और देश के विकास में योगदान करते हैं।
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